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| Airtel और Google की बड़ी डील: अब SMS भी चलेगा WhatsApp की तरह |
पिछले कुछ सालों में मैसेजिंग ऐप्स ने हमारे फोन की आदत बदल दी। लेकिन SMS वहीं के वहीं अटका हुआ महसूस होता था—पुराना, सादा और सीमित।
इसी बीच Airtel और Google ने मिलकर एक बड़ा कदम उठाया है। इसे समझने पर एहसास होता है कि भविष्य में SMS शब्द ही शायद बदल जाए।
दरअसल, Google लंबे समय से RCS (Rich Communication Services) को आगे बढ़ाना चाहता था—और अब Airtel के साथ डील इस दिशा में असली गति देती है।
यहीं से कहानी दिलचस्प हो जाती है।
RCS क्या है और यह WhatsApp जैसा कैसे बनाता है?
यदि सरल भाषा में समझें तो RCS, SMS का "स्मार्ट Version" है।
फर्क वही है जो फीचर फोन और स्मार्टफोन के बीच होता है।
RCS में मिलता है:
- High quality फोटो/वीडियो भेजना
- Read receipt (Seen जैसी सुविधा)
- Typing Indicator
- चैट रिएक्शन
- ग्रुप चैट
- बेहतर सुरक्षा
- बड़े संदेश भेजने की क्षमता
यानी बिल्कुल WhatsApp जैसा अनुभव—but सीधे आपके फोन के डिफॉल्ट Messages ऐप में।
Google यह सब Android के Messages ऐप में पहले से दे रहा है, पर नेटवर्क कंपनियों का साथ मिले बिना अनुभव अधूरा था। Airtel की हाँ इसी कमी को पूरा करती है।
Airtel–Google डील का मतलब भारतीय यूज़र्स के लिए क्या है?
यह डील तकनीकी लगती है, पर असर रोजमर्रा की चैटिंग पर पड़ेगा।
अब Airtel के यूज़र्स को:
- तेज़ RCS डिलीवरी
- ज्यादा विश्वसनीय कनेक्शन
- भेजी गई फाइलों की बेहतर गुणवत्ता
- ब्रांडेड बिज़नेस मैसेजिंग (टिकट, बैंक अलर्ट, ऑफर कार्ड जैसे)
- कम स्पैम और बेहतर वेरिफाइड मैसेज
मिलेगा।
एक तरह से देखें तो SMS अब “App जैसा” बनने की तरफ बढ़ रहा है—बिना ऐप इंस्टॉल किए।
क्या RCS WhatsApp को टक्कर देगा?
यह प्रश्न अचानक आता है—और पूरी तरह गलत भी नहीं है।
RCS का मकसद WhatsApp को बदलना नहीं, बल्कि SMS को अपग्रेड करना है।
कई बार लोग ऐसी जगह पर संदेश भेजना चाहते हैं जहां ऐप इंस्टॉल नहीं होता, इंटरनेट कमजोर है, या बस OTP जैसा भरोसेमंद चैनल चाहिए।
RCS इससे आगे जाकर चैटिंग को आधुनिक बनाता है।
और Google का सपना है कि “फोन नंबर आधारित मैसेजिंग” फिर से मुख्यधारा में आए।
लेकिन WhatsApp का नेटवर्क प्रभाव इतना बड़ा है कि मुकाबला नहीं—पूरक तकनीक ज्यादा लगता है।
Airtel के लिए यह रणनीति क्यों महत्वपूर्ण है?
जियो पहले ही RCS पर काम कर रहा है।
Vodafone-Idea (VI) भी आंशिक रूप से इसे चला रहा है।
Airtel ने Google के साथ साझेदारी करके:
- बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर
- बिज़नेस-ग्रेड मैसेजिंग
- यूज़र-लेवल सुरक्षा
- स्पैम कंट्रोल
जैसे क्षेत्रों में बढ़त बना ली है।
यह एक तरह से “नया SMS इकोसिस्टम” बनाने की शुरुआत है।
Google Messages ऐप और मजबूत होगा
Google Messages अब Android का डिफॉल्ट चैट प्लैटफॉर्म बन चुका है।
Apple ने iPhone में RCS सपोर्ट देने की घोषणा कर दी है—जो पूरी तस्वीर बदल सकता है।
इस डील के बाद भारत, जो दुनिया के सबसे बड़े Android बाज़ारों में है, RCS की टेस्टिंग और इम्प्लीमेंटेशन का बड़ा मैदान बन रहा है।
आपके फोन में यह बदलाव कब दिखेगा?
Airtel में RCS सपोर्ट पहले से उपलब्ध है, लेकिन यह डील रोलआउट को तेज़ करेगी।
आने वाले दिनों में:
- अधिक स्थिर RCS
- कम फेल्ड मैसेज
- तेज़ चैट स्टार्ट
- स्पैम फ़िल्टरिंग
जैसी चीज़ें महसूस होंगी।
कई यूज़र बिना अपडेट के भी अपने Messages ऐप में इसका असर देखेंगे—जैसे मीडिया फाइलें पहले से बेहतर भेजी जाती हैं।
FAQ
क्या RCS बिना इंटरनेट चलता है?
नहीं। RCS को इंटरनेट की आवश्यकता होती है—मोबाइल डेटा या Wi-Fi दोनों पर।
क्या यह फीचर सभी Airtel यूज़र्स को मिलेगा?
हाँ, धीरे-धीरे पूरा नेटवर्क RCS-optimized हो जाएगा। Android Messages ऐप होना जरूरी है।
क्या iPhone यूज़र भी ऐसे चैट कर पाएंगे?
Apple ने RCS सपोर्ट की पुष्टि की है। जैसे ही यह लागू होगा, iPhone से Android RCS चैट संभव हो जाएगी।
क्या RCS सुरक्षित है?
RCS में एन्क्रिप्शन मौजूद है, हालांकि सभी चैट एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होंगी या नहीं—यह Google और कैरियर सेटअप पर निर्भर करता है।
क्या WhatsApp की जरूरत खत्म हो जाएगी?
नहीं। WhatsApp का नेटवर्क बेस बड़ा है। RCS सिर्फ SMS को आधुनिक बनाता है।
निष्कर्ष
Airtel और Google की यह डील भारतीय मैसेजिंग अनुभव में धीरे-धीरे बदलाव लाएगी।
SMS अब वो पुरानी टेक्स्ट लाइन नहीं रहेगा—यह चैट जैसा महसूस होगा, मीडिया भेजने में आसान, और ऐप इंस्टॉल किए बिना भी स्मार्ट।
यह बदलाव अचानक नहीं दिखेगा, लेकिन आने वाले महीनों में असर ज़रूर महसूस होगा।
कई यूज़र्स शायद ध्यान भी न दें कि उनका SMS अब WhatsApp जैसा क्यों लगता है—और यही तकनीक की सबसे शांत क्रांतियों में से एक है।
